दुर्ग / जिला उपभोक्ता फोरम को मिलेगा आयोग का दर्जा

दुर्ग. केंद्र सरकार ने जिला उपभोक्ता फोरम दुर्ग को आयोग का दर्जा दे दिया है। अब ये जिला उपभोक्ता आयोग कहलाएगा। ऐसे में उपभोक्ता किसी दूसरे राज्य और शहर से जुड़े प्रकरणों को भी आयोग में दर्जा करा सकेंगे। इसी तरह सुनवाई की लिमिट भी बढ़ा दी गई है। इसके तहत एक करोड़ रुपए तक के प्रकरण की सुनवाई उपभोक्ता आयोग में होगी। नोटिफिकेशन जारी होने के बाद जिले में आयोग प्रकरणों की सुनवाई शुरू करेगा।



आपसी रजामंदी से प्रकरण में फैसला कराने का होगा प्रयास
गाइड लाइन पर गौर करें तो आयोग चाहे तो मध्यस्थता के माध्यम से भी प्रकरणों का निराकरण करा सकता है। बाकायदा आयोग की ओर से एक प्रतिनिधि नियुक्त किया जाएगा, जो परिवादी और अनावेदक के बीच मध्यस्थता कर आपसी सुलह माध्यम से निपटारा करने की कोशिश करेगा। 


भ्रामक और झूठे विज्ञापन पर दो साल कैद की सजा सुनाने का प्रवाधन
आयोग के गाइड लाइन पर नजर डालें तो झूठा विज्ञापन करते पकड़े जाने पर पहली बार 10 लाख रुपए जुर्माना और दो साल की सजा होगी। दोबारा पकड़े जाने पर 50 लाख रुपए जुर्माना और पांच साल की सजा का प्रावधान किया गया है। फोरम को आयोग के अस्तित्व में लाने की तैयारी चल रही है।


कंपनियों पर कसा जाएगा शिकंजा
नए नियमों के तहत ई-कॉमर्स कंपनियों पर सीधी बिक्री पर लागू सभी कानून प्रभावी होंगे। इन कंपनियों को विक्रेताओं के ब्योरे का खुलासा करना होगा। उनका पता, वेबसाइट, ई-मेल भी देना होगा। इससे पहले तक अधिनियम में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं था। मनमानी करने वाली कंपनियों पर शिकंजा कसा जाएगा।



अपील की सीमा 45 दिन की गई
उपभोक्ता के अधिकार हनन से जुड़े सभी मामलों का निपटारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत किया जा रहा है। पिछले साल केंद्र सरकार ने इसमें संशोधन करके उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 पारित किया। संशोधन के बाद ही उपभोक्ता फोरम को आयोग का दर्जा मिला। केंद्र ने नए अधिनियम में हितों से जुड़े तमाम तरह के बदलाव किए।